माटी चुन चुन महल बनाया, लोग कहें घर मेरा । ना घर तेरा

माटी चुन चुन महल बनाया,
लोग कहें घर मेरा ।
ना घर तेरा, ना घर मेरा ,
चिड़िया रैन बसेरा ।
कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी,
जोड़ भरेला थैला ।
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
संग चले ना धेला ।
उड़ जाएगा हंस अकेला!!!
*जग दो दिन का मेला!!

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