किसी भी नौकरीशुदा व्यक्ति के लिए उसका पीएफ, पेंशन के लिए बड़ा आसरा होते हैं। व्यक्ति किसी भी मुसीबत के समय जैसे हेल्थ, मकान बनवाने, बच्चों की शिक्षा, शादी आदि के लिए पीएफ की राशि निकलवाकर इस्तेमाल कर सकता है। वहीं, पेंशन उसकी रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी के लिए एक सहारा होती है।

लोगों को यह अवश्य पता होता है कि उनका पीएफ उनकी सैलरी से कट रहा है, लेकिन इसके प्रतिशत के बारे में वे बहुत जागरूक नहीं होते। आज इस पोस्ट में हम आपको ईपीएस यानी एंप्लाइज पेंशन स्कीम-85 के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

सबसे पहले सबसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा कर लेते हैं। जान लेते हैं कि ईपीएस-95 (EPS-95) क्या है? मित्रों, ईपीएस (EPS) की फुल फाॅर्म है-एंप्लाइज पेंशन स्कीम (employee pension scheme) यानी कर्मचारी पेंशन योजना। इसे आज से करीब 27 वर्ष पूर्व सन् 1995 में लागू किया गया था, इसीलिए इसे ईपीएस-95 पुकारा जाता है।

आपको बता दें कि यह एक रिटायरमेंट योजना (retirement scheme) हैे, जिसका प्रबंधन ईपीएफओ (EPFO) द्वारा किया जाता है। इसी योजना के माध्यम से संगठित क्षेत्र (organised sector) के 58 वर्ष की उम्र में रिटायर (retire) होने वाले कर्मचारियों को पेंशन (pension) दी जाती है।

वे सभी कर्मचारी जिनकी सैलरी (बेसिक पे+डीए) 15 हजार रूपये तक है, वे ईपीएस-95 के अंतर्गत शामिल हैं। नियमानुसार किसी कर्मचारी के प्रोविंडेंट फंड (provident fund) यानी पीएफ में कंपनी (company) एवं कर्मचारी (employees) दोनों ही 12 प्रतिशत का समान योगदान देते हैं।

यहां कर्मचारी का पूरा अंशदान (contribution) पीएफ में जाता है, जबकि नियोक्ता/कंपनी (employer/company) के शेयर (share) का केवल 3.67 फीसदी हिस्सा ही ईपीएफ में जाता है। उसका 8.33 प्रतिशत हिस्सा ईपीएस-95 में जमा होता है।

दोस्तों, आपको बता दें कि 15 हजार रूपये सैलरी (बेसिक+डीए) वालों को ही ईपीएस-95 के तहत रखा गया है। इसका सीधा सा अर्थ है कि उसके केवल 1250 रूपये ही ईपीएस (EPS) में जमा किए जाएंगे।

इसका अर्थ यह भी है कि भले ही किसी की बेसिक सैलरी (basic salary) 15 हजार रूपये से अधिक हो, उसकी सैलरी में से 1250 रूपये ही बतौर पेंशन ईपीएस में जाएगा।

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