आपने फिल्मों, सीरियलों में कई बार देखा होगा कि पति अपनी पत्नी पर शक करते हैं। ऐसे में वे बच्चे को अपनाने को तैयार नहीं होते। उन्हें लगता है कि यह उनका नहीं। ऐसे में बच्चे से पिता का ब्लड रिलेशन साबित करने को डीएनए टेस्ट करता है।

इसके अलावा कई बार आपदा में किसी की मृत्यु हो जाती है और उसके वारिसों की खैर खबर नहीं मिलती तो उसके रक्त संबंधियों से पहचान स्थापित करने को भी डीएनए टेस्ट का सहारा लिया जाता है।

मृतक की हड्डी, बाल आदि का सैंपल लिया जाता है। डीएनए टेस्ट क्या होता है और इससे क्या क्या पता चलता है? आज इस पोस्ट में हम आपको इसी संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे।

दोस्तों, डीएनए टेस्ट के बारे में जानने से पहले डीएनए (DNA) की फुल फाॅर्म (full form) जान लेते हैं। इसकी फुल फाॅर्म डी-आक्सी राइबो न्यूक्लिक एसिड (De oxy ribo nucleic acid) है।

डीएनए ही क्रोमोजोम का आधार होता है, जिनकी वजह से आनुवंशिक गुण एक पीढ़ी से दूसरी में ट्रांसफर होते हैं।

मित्रों, अब आते हैं डीएनए टेस्ट पर। आपको बता दें कि इसकी जांच से शरीर के बहुत से सत्य सामने आते हैं। जैसे-जेनेटिक सच (genetic truth)। इसी वजह से इसे जेनेटिक टेस्टिंग (genetic testing) भी पुकारा जाता है।

डीएनए सीक्वेंस (DNA sequence) अथवा क्रोमोसोम स्ट्रक्चर (chromosome structure) में हुए बदलाव को इससे आइडेंटिफाई (identify) किया जा सकता है।

आपको जानकारी दे दें कि नान इन्वेंसिव प्रीनैटल टेस्ट स्त्री की गर्भावस्था के 8 सप्ताह के बाद ही किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय तक बच्चे के डीएनए में मां का खून शामिल हो जाता है।

आपको बता दें दोस्तों कि हमारे देश भारत में कोर्ट के लिए लीगल डीएनए टेस्ट (legal DNA test) डीएनए फाॅरेसिंक्स लेबोरेटरी (DNA forensics laboratory) यानी डीएफएल (DFL) करती है। इसके अतिरिक्त यह लैब अन्य सभी तरह के डीएनए टेस्ट भी करती है।

डीएनए टेस्ट क्या है?  इसकी अधिक जानकारी के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें?