*वक़ील की जिंदगी के भी अजीब फ़साने है* *यहां तीर भी
*वक़ील की जिंदगी के भी अजीब फ़साने है* *यहां तीर भी चलाने है और परिंदे भी बचाने है।*
*वक़ील की जिंदगी के भी अजीब फ़साने है* *यहां तीर भी चलाने है और परिंदे भी बचाने है।*
*दिलो से खेलना मुझे भी आता है दोस्त ????लेकिन,* *जिस खेल ????में खिलौना टूट ????जाए, मुझे वो खेल पसंद ❗नहीं …
*कुदरत का नियम है…* *मित्र और चित्र,* *दिल से बनाओगे…* *तो उनके रंग जरूर निखर आयेंगे…!!!*
चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है.. वरना बेचैन तो दिल जमाने भर का है…!.. ????
शिकवे मुझे भी जिंदगी से है साहब, पर मौज में जीना है इसलिए शिकायते नहीं करता!” न रुकी वक़्त की …