गैर मुकम्मल सी है ये जिंदगी और वक्त की बेतहाशा है रफ्तार ।
रात इकाई, नींद दहाई, ख्वाब सैकडा, दर्द हजार,
लेकिन फिर भी जिंदगी मजेदार ।
प्यार-एहसास, हँसी-बदमाशी और शरारत बनाए रखिये…
खुद में ज़रा सा बच्चा, हर हाल में बचाए रखिये…।
गैर मुकम्मल सी है ये जिंदगी और वक्त की बेतहाशा है रफ्तार ।
रात इकाई, नींद दहाई, ख्वाब सैकडा, दर्द हजार,
लेकिन फिर भी जिंदगी मजेदार ।
प्यार-एहसास, हँसी-बदमाशी और शरारत बनाए रखिये…
खुद में ज़रा सा बच्चा, हर हाल में बचाए रखिये…।